Shree Akash Bhairav Chitra Mala Mantra

 ॥ श्रीआकाशभैरव चित्रमाला मंत्र ||


आकाशभैरव से तात्पर्य रुद्रावतार भगवान् शरभ शालुव पक्षिराज से है।शत्रूनाश हेतु यह प्रयोग किया जाता है।


विनियोगः-

ॐ श्रीआकाशभैरवरस्य चित्रमाला नाममंत्रस्य श्रीआनन्द-भैरव ऋषिः, गायत्री छन्दः,श्रीआकाशभैरव देवता, ह्रीं बीजं, हुं शक्तिः, सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।


ऋष्यादिन्यासः -

ॐ श्रीआनन्दभैरव ऋषये नमः शिरसि,

ॐ गायत्री छन्दसे नमः मुखे,

ॐ आकाश भैरव देवतायै नमः हृदि,

ॐ ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये,

ॐ हुं शक्तयै नमः पादयोः,

ॐ सर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ।


करन्यासः -

ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्या नमः,

ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा,

ॐ हूं मध्यमाभ्यां वषट्,

ॐ हैं अनामिकाभ्यां

हुं, ॐ ह्रौं कनिष्ठकाभ्यां वौषट्,

ॐ ह्रः करतल-कर-पृष्ठाभ्यां फट् ।


अङ्गन्यास -

ॐह्रां हृदयाय नमः ।

ॐ ह्रीं शिरसे स्वाह ।

ॐ हूं शिखायै वषट् ।

ॐ हैं कवचाय हुं ।

ॐ ह्रौं नेत्र-त्रयाय वौषट् ।

ॐ ह्रः अस्त्राय फट् ।


॥ ध्यानम् ॥

सहस्रपाणि-पद्-वक्त्रं,सर्वाभीष्टप्रदं देवं,

स्मरेद् सहस्र-त्रयलोचनम् ।आकाश-भैरवम् ॥


॥ मानस पूजन ॥

ॐ लं पृथ्विीव्यात्मकं गन्धं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि।

ॐ हं आकाशात्मकं पुष्पं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि ।

ॐ यं वाय्वात्मकं धूपं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः

अनुकल्पयामि।

ॐ रं वह्न्यात्मकं दीपं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि ।

ॐ वं जलात्मकं नैवेद्यं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि।

ॐ शं शक्त्यात्मकं ताम्बूलं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां

नमःअनुकल्पयामि ।


॥ मालामंत्र ॥

ॐ नमो भगवते आकाशभैरवाय निखिल-लोकप्रियाय प्रणतजन-परिताप-विमोचनाय सकलभूत-

निवारणाय सर्वाभीष्टप्रदाय नित्याय सच्चिदानन्द-विग्रहाय सहस्रबाहवे सहस्रमुखाय सहस्र-त्रिलोचनाय सहस्त्र-

चरणाय करालाय अखिलरिपुसंहार-कारणाय अनेककोटिब्रह्मकपाल-माला-अलंकृताय नररुधिरमांस-

भक्षणाय महाबलपराक्रमाय महादन्तराय विष-मोचनाय पर-मंत्र-तंत्र-यंत्र - विद्या - विच्छेदनाय प्रसन्नवदनाम्बुजाय

ऐह्येहि आगच्छागच्छ ममाभीष्टं आकर्षय-आकर्षय आवेशय-आवेशय मोहय मोहय भ्रामय-भ्रामय द्रावय-

द्रावय तापय-तापय सिद्धय-सिद्धय बन्धय-बन्धय भाषय-भाषय क्षोभय-क्षोभय भूतप्रेतादि-पिशाचान् मर्दय-

मर्दय कुर्दम-कुर्दम पाटय-पाटय मोटय-मोटय गुम्फय-गुम्फय कम्पय-कम्पय ताडय-ताडय त्रोटय-त्रोटय

भेदय-भेदय छेदय छेदय चण्ड-वातांति-वेगाय सन्तत-गम्भीर-विजृम्भणाय संकर्षय-संकर्षय संक्रामय-

संक्रामय प्रवेशय-प्रवेशय स्तोभय-स्तोभय स्तंभय-स्तंभय तोदय-तोदय खेदय-खेदय तर्जय-तर्जय गर्जय-

गर्जय नादय-नादय रोदय-रोदय घातय-घातय वेतय- वेतय सकल-रिपु-जनान्छिधि-भिन्धि भिन्दय-भिन्दय

अन्धय-अन्धय रून्धय-रून्धय नर्दय-नर्दय बन्धय-बन्धय श्रीं ह्रीं क्लीं कल्याणकारणाय श्मशानानन्द-

महाभोगप्रियाय देवदत्तं (अमुकं ) आनय-आनय दूनय-दूनय केलय-केलय मेलय-मेलय प्रपन्न वत्सलाय

प्रति वदन दहनामृत किरण नयनाय सहस्र कोटि वेताल परिवृताय मम रिपून उच्चाटय-उच्चाटय नेपय-नेपय

तापय-तापय सेचय-सेचय मोचय-मोचय लोटय-लोटय स्फोटय-स्फोटय ग्रहण-ग्रहण अनन्त-वासुकि-

तक्षक कर्कोटक-पद्म-महापद्म-शङ्ख-गुलिक-महानाग-भूषणाय स्थावर-जङ्गमानां विषं नाशय-नाशय प्राशय-

प्राशय भस्मी-कुरु भस्मी-कुरु भक्तजन-वल्लभाय सर्ग-स्थिति-संहारकारणाय कथय-कथय सर्व-शत्रून् उद्रेकय-

उद्रेकय विद्वेषय-विद्वेषय उत्सादय उत्सादय बाधय बाधय साधय-साधय दह-दह पच-पच शोषय शोषय

पोषय-पोषय दूरय-दूरय मारय मारय भक्षय-भक्षय शिक्षय-शिक्षय समस्त-भूतं शिक्षय-शिक्षय श्रीं ह्रीं क्लीं

प्रय अनवरत-ताण्डवाय आपदुद्धारणाय साधुजनान् तोषय-तोषय भूषय-भूषय पालय-पालय शीलय-शीलय

काम-क्रोध-लोभ-मोह-मद-मात्सर्यं शमय-शमय दमय-दमय त्रासय-त्रासय शासय-शासय क्षिति-जल-

दहन-मरुत-गगन-तरणि-सोमात्म-शरीराय शम-दमोपरति-तितिक्षा-समाधान-श्रद्धां दापय-दापय प्रापय-

प्रापय विघ्न-विच्छेदनं कुरु कुरु रक्ष-रक्ष यै क्लीं ह्रीं श्रीं ब्रह्मणे स्वाहा ।

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विधानम् - गुरु-स्मरण एवं इष्ट-देवता-पूजन कर उक्त मंत्र का १०० बार पाठ करें इससे सभी कार्य सिद्ध होते हैं। साधारण कार्यों हेतु ३ पाठ ही पर्याप्त हैं। अपने गुरु की अनुमति से करें।

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