माँ मनसा देवी कवच (हिंदी अर्थ सहित)
Mansa Mata Devi Kavach
ॐ अस्य श्रीमनसादेवीकवचस्य, नारद ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, मनसा देवी देवता।
👉 यह माँ मनसा देवी कवच का प्रारंभ है, नारद ऋषि द्वारा रचित है।
🔸 ॐ मनसा मां शिरः पातु, लोचनं नागवल्लभा।
👉 हे मनसा माता! मेरा सिर और नेत्रों की रक्षा करें।
🔸 कर्णौ रक्षतु जृत्कारुः, नासिका नागिनी सदा॥
👉 मेरे कानों की रक्षा जृत्कारु की पत्नी (आप) करें, और नाक की रक्षा नागिनी करें।
🔸 मुखं मे नागमाता च, जिह्वां रक्षतु वासुकी।
👉 मेरा मुख नागों की माता, और जिह्वा की रक्षा नागराज वासुकी की बहन करें।
🔸 कण्ठं रक्षतु मे देवी, स्कन्धौ च गरुडध्वजा॥
👉 गले की रक्षा देवी करें और कंधों की रक्षा गरुड़ध्वजा (माँ) करें।
🔸 हृदयं पातु सर्वज्ञा, कुक्षिं पातु च कामदा।
👉 हृदय की रक्षा सर्वज्ञा माता करें, पेट की रक्षा कामना देने वाली करें।
🔸 कटिं रक्षतु सर्वेशी, गुह्यं गुह्यप्रकाशिनी॥
👉 कमर की रक्षा सर्वेश्वरी करें, और गुप्त अंगों की रक्षा रहस्य प्रकाशित करने वाली करें।
🔸 ऊरू रक्षतु मे देवि, जानुनी नागसंगिनी।
👉 जांघों की रक्षा देवी करें और घुटनों की रक्षा नागों की संगिनी करें।
🔸 जङ्घे पातु महामाया, गुल्फौ पातु च पार्वती॥
👉 पिंडलियों की रक्षा महामाया करें और टखनों की पार्वती करें।
🔸 पादौ मे रक्षतु नित्यं, नागराजसुता शुभा।
👉 पैरों की रक्षा हमेशा नागराज की शुभ पुत्री करें।
🔸 सर्वाङ्गं पातु मां देवी, नागिनी शोकनाशिनी॥
👉 हे देवी! सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें, आप शोकों का नाश करने वाली नागिनी हैं।
🔸 य इदं कवचं दिव्यं मनसायाः पठेन्नरः।
👉 जो व्यक्ति इस दिव्य कवच का पाठ करता है|
🔸 सप्तवारं तु संप्रोक्तं सर्वव्याधिविनाशनम्॥
👉 यदि वह इसे सात बार पढ़ता है, तो सभी रोगों का नाश होता है।
🔸 नागदंशं विषं चापि दूरं कुर्यात् तु निःश्रयम्।
👉 सांप के काटने और विष का असर समाप्त हो जाता है।
🔸 महाभयाद्दुर्गतेश्च सर्वत्र विजयी भवेत्॥
👉 बड़ी से बड़ी आपदा और भय से मुक्ति मिलती है तथा हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
🔸 ॥ इति श्री मनसा देवी कवचं सम्पूर्णम् ॥
👉 इस प्रकार माँ मनसा देवी का कवच पूर्ण हुआ।