फ़कीरों की महफ़िल
ये फ़कीरों की महफ़िल है, चले आओ...
यहाँ भले लोग हैं, औक़ात नहीं पूछते...
✨ बस दिल की सच्चाई चलती है यहाँ, नाम-ओ-निशान नहीं।
✨ बैठ जाओ जहाँ जगह मिले, इज़्ज़त सबको बराबर मिलती है।
यह फ़कीरों की महफ़िल है, चले आओ,
यहाँ न तख़्त है, न ताज — बस सुकून की छाँव है।
न यहाँ कोई औक़ात पूछेगा, न पहचान,
दिल से बैठे हो तो हो जाओ मेहमान।
यहाँ हर चेहरा रौशन है बिना दौलत के,
हर एक की कहानी है इबादत के।
जो झुक जाए दिल से, वही बड़ा है यहाँ,
वरना दिखावे वालों का कोई मोल नहीं यहाँ।
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