Bhothik Sansar

 इस भौतिक संसार की नश्वरता का बोध कराने के लिए ही भगवान महादेव अपने शरीर प राख धारण करते हैं। इस संसार में जो कुछ भी आज है, वह कल के लिए मात्र और मात्र एक राख के ढेर से ज्यादा कुछ भी नहीं है। हमारे द्वारा अर्जित सभी भौतिक संपत्तियां और हमारा स्वयं का शरीर भी एक मुट्ठी राख से ज्यादा कुछ नहीं है। जीवन का अंतिम और अमिट सत्य राख ही तो है। राख ही प्रत्येक वस्तु का सार है और इसी सार तत्व को भगवान शिव अपने शरीर पर धारण करते हैं।


    भगवान शिव मानव मात्र को संदेश देते हैं, कि किसी भी वस्तु का अभिमान मत करो क्योंकि प्रत्येक वस्तु एक दिन मेरे समान ही राख बन जाने वाली है। आपका बल, आपका वैभव, आपकी अकूत सम्पदा सब यहीं रह जाने हैं। प्रभु कृपा से जो भी आपको प्राप्त हुआ है उसे परमार्थ में, परोपकार में,  सद्कार्यों में और सेवा कार्यों में लगाने के साथ-साथ मिल बाँट कर खाना सीखो, यही मनुष्यता है, यही दैवत्व है और यही जीवन का परम सत्य व जीवन की परम सार्थकता भी है। 

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