Shiv Ji ko Nahi Charaya jata yeh.....

 आप बिल्कुल सही कह रहे हैं — भगवान शिव को कुंकुम नहीं चढ़ाया जाता। यह एक महत्वपूर्ण शास्त्रीय नियम है और इसके पीछे धार्मिक एवं तात्त्विक कारण हैं।


क्यों नहीं चढ़ाते शिवजी को कुंकुम (कुमकुम)?


शिवजी हैं विरक्त (वैराग्यस्वरूप):


कुंकुम का रंग लाल होता है, जो रजोगुण और कामना का प्रतीक माना जाता है।

भगवान शिव तपस्वी, वैराग्य स्वरूप, और तामसिक-रजसिक विकारों से रहित हैं। इसलिए उन्हें ऐसे पदार्थ अर्पित नहीं किए जाते जो रजोगुण को दर्शाते हों।


कुंकुम देवी स्वरूप को चढ़ता है:


कुंकुम मुख्यतः शक्ति, स्त्री तत्व, विशेषकर देवी लक्ष्मी, पार्वती, दुर्गा, और बगलामुखी आदि को चढ़ाया जाता है।

शिव तत्त्व शिव हैं – निराकार, निर्विकार, जटिल कामनाओं से रहित – उन्हें यह नहीं चढ़ता।


विभिन्न पुराणों और आगम-शास्त्रों में उल्लेख है कि —


> "नैव कुमकुमं शंभवे समर्प्यते।"




शिव को कुंकुम समर्पित नहीं किया जाता।



फिर क्या अर्पित करें?


भगवान शिव को ये वस्तुएँ प्रिय हैं:


बिल्वपत्र (बेलपत्र)


धतूरा, आक (आकंड़ा)


भस्म / विभूति


गंगाजल / कच्चा दूध / दही / मधु / घृत / शुद्ध जल


भांग


चंदन (सफेद चंदन)


सादे पुष्प (विशेषतः सफेद)


आपके श्लोक में कुंकुम का उल्लेख क्यों है?


संभव है कि वह श्लोक मूलतः देवी पूजन या सामान्य पूजन सामग्री के संदर्भ में हो और शिव के साथ जोड़ा गया हो।

कभी-कभी श्लोक में सभी पूजन-सामग्रियों का समावेश होता है, पर उनमें से कुछ विशेष देवताओं के लिए वर्जित मानी जाती हैं — जैसे:


तुलसी – गणेश को वर्जित


कुंकुम – शिव को वर्जित


शंखजल – शिव अभिषेक में वर्जित

Comments